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ग़ज़ल- जरूरी तो नहीं ज़िंदगी में सबको प्यार मिले

ग़ज़ल- जरूरी तो नहीं

ज़िंदगी में सबको प्यार मिले ये ज़रूरी तो नहीं,
सबको मनचाहा यार मिले ये ज़रूरी तो नहीं।

चाहता कौन है बिसात गम की बिछाना,
सबको सौगात-ए-आहलाद मिले ये ज़रूरी तो नहीं।

माना सच के सिवा आईना कुछ भी कहता नहीं,
सबको आब-ए-आईना मिले ये ज़रूरी तो नहीं।

कंटीली राहों ने हमें खूब आज़माया है,
सबको राह-ए-गुल ही मिले ये ज़रूरी तो नहीं।

एक झलक के लिए तरसी उम्र भर है नज़र,
सबको दीदार-ए-यार मिले ये ज़रूरी तो नहीं।

यादें ही यादें हैं अब भी मेरे ज़हन-ओ-ज़िगर,
सबको नाकाफ़ी याददाश्त मिले ये ज़रूरी तो नहीं।

जला है जिस्म कड़क धूप में अक्सर "स्मित",
सबको शजर-ए-साया मिले ये ज़रूरी तो नहीं। #ग़ज़ल

ज़िंदगी में सबको प्यार मिले ये ज़रूरी तो नहीं,
सबको मनचाहा यार मिले ये ज़रूरी तो नहीं।

चाहता कौन है बिसात गम की बिछाना,
सबको सौगात-ए-आहलाद मिले ये ज़रूरी तो नहीं।
ग़ज़ल- जरूरी तो नहीं

ज़िंदगी में सबको प्यार मिले ये ज़रूरी तो नहीं,
सबको मनचाहा यार मिले ये ज़रूरी तो नहीं।

चाहता कौन है बिसात गम की बिछाना,
सबको सौगात-ए-आहलाद मिले ये ज़रूरी तो नहीं।

माना सच के सिवा आईना कुछ भी कहता नहीं,
सबको आब-ए-आईना मिले ये ज़रूरी तो नहीं।

कंटीली राहों ने हमें खूब आज़माया है,
सबको राह-ए-गुल ही मिले ये ज़रूरी तो नहीं।

एक झलक के लिए तरसी उम्र भर है नज़र,
सबको दीदार-ए-यार मिले ये ज़रूरी तो नहीं।

यादें ही यादें हैं अब भी मेरे ज़हन-ओ-ज़िगर,
सबको नाकाफ़ी याददाश्त मिले ये ज़रूरी तो नहीं।

जला है जिस्म कड़क धूप में अक्सर "स्मित",
सबको शजर-ए-साया मिले ये ज़रूरी तो नहीं। #ग़ज़ल

ज़िंदगी में सबको प्यार मिले ये ज़रूरी तो नहीं,
सबको मनचाहा यार मिले ये ज़रूरी तो नहीं।

चाहता कौन है बिसात गम की बिछाना,
सबको सौगात-ए-आहलाद मिले ये ज़रूरी तो नहीं।