क़ायनात की हर शय में नायाब हुनर मौजूद है कोई इजहार करता है कोई इनकार करता है किसी को इसका इल्म है किसी को एहसास भी नहीं यह इतना आसान भी नहीं बिल्कुल हिरण के गर्भ में मौजूद कस्तूरी की तरह है जिसकी खुशबू जिश्म में उसकी इत्र सी जज्ब है ऐसे हुनर को निखार कर जिंदा रखना भी खुद में एक जबरदस्त हुनर ही है तो खुद के फ़न को अब आप भी पहचानने ताकि ये जहां आपको बेकार नहीं फ़नकार माने। ©अलका मिश्रा ©alka mishra #फन #Art