वो इन्हीं दिनों की बात थी जब एक दिन शाम को स्कूल से लौटते वक्त पता नहीं मौसम या बस में विंडो सीट पे बैठी...👩🏻उसकी मुस्कुराहट ने ना जाने क्या किया था?? उसने अचानक से खुले बालों का गुल्ला बनाया और फिर उसमे पेंसिल को समकोण पर, बड़े इत्मीनान से उसके केंद्र में फँसाते हुए बस से उतरी, और रिक्शे में बैठकर 45° के कोंड पर पीछे की और मुस्कुराते हुए बालों को सँवारकर को रिक्शे वाले से बड़बड़ाते हुए, वाया तिराहे अपने रास्ते चली गयी। मुझे टिकट के पीछे लिखे 2₹ कंडक्टर से अभी लेने थे।। @#पुरानी_यादें #NojotoQuote