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यह कोई कविता नहीं उसकी जिंदगी का किस्सा है जो दर्द

यह कोई कविता नहीं उसकी जिंदगी का किस्सा है
जो दर्द बताने वाला हूं उसकी जिंदगी का हिस्सा है

चंद खून की छींटे लज्जित कर देती है उसको
कोई क्यों नहीं सोचता कितना दर्द होता होगा उसको

नारी होना आसान नहीं समझाओ उन नसमझो को
रूह कांप जाती जब चोट लगती हैं मर्दों को

मंदिर और रसोई में भी जाने को रोक लगाते हैं 
कुछ लोग पास में बैठने से भी मुँह बिगाड़ लेते है






न जाने क्यों लोग इसे बीमारी समझते हैं
 *उसे दर्द से ही तो घरों में चिराग जलते है* 

यह कोई कविता नहीं उसकी जिंदगी का किस्सा है
जो दर्द बताने वाला हूं उसकी जिंदगी का हिस्सा है
VS.Diwakar

©Virendra Singh Diwakar #Women #womenempowerment #Women_Special यह कोई कविता नहीं उसकी जिंदगी का किस्सा है
जो दर्द बताने वाला हूं उसकी जिंदगी का हिस्सा है

चंद खून की छींटे लज्जित कर देती है उसको
कोई क्यों नहीं सोचता कितना दर्द होता होगा उसको

नारी होना आसान नहीं समझाओ उन नसमझो को
रूह कांप जाती जब चोट लगती हैं मर्दों को
यह कोई कविता नहीं उसकी जिंदगी का किस्सा है
जो दर्द बताने वाला हूं उसकी जिंदगी का हिस्सा है

चंद खून की छींटे लज्जित कर देती है उसको
कोई क्यों नहीं सोचता कितना दर्द होता होगा उसको

नारी होना आसान नहीं समझाओ उन नसमझो को
रूह कांप जाती जब चोट लगती हैं मर्दों को

मंदिर और रसोई में भी जाने को रोक लगाते हैं 
कुछ लोग पास में बैठने से भी मुँह बिगाड़ लेते है






न जाने क्यों लोग इसे बीमारी समझते हैं
 *उसे दर्द से ही तो घरों में चिराग जलते है* 

यह कोई कविता नहीं उसकी जिंदगी का किस्सा है
जो दर्द बताने वाला हूं उसकी जिंदगी का हिस्सा है
VS.Diwakar

©Virendra Singh Diwakar #Women #womenempowerment #Women_Special यह कोई कविता नहीं उसकी जिंदगी का किस्सा है
जो दर्द बताने वाला हूं उसकी जिंदगी का हिस्सा है

चंद खून की छींटे लज्जित कर देती है उसको
कोई क्यों नहीं सोचता कितना दर्द होता होगा उसको

नारी होना आसान नहीं समझाओ उन नसमझो को
रूह कांप जाती जब चोट लगती हैं मर्दों को

#Women #womenempowerment #Women_Special यह कोई कविता नहीं उसकी जिंदगी का किस्सा है जो दर्द बताने वाला हूं उसकी जिंदगी का हिस्सा है चंद खून की छींटे लज्जित कर देती है उसको कोई क्यों नहीं सोचता कितना दर्द होता होगा उसको नारी होना आसान नहीं समझाओ उन नसमझो को रूह कांप जाती जब चोट लगती हैं मर्दों को