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यही दिन है उमंगों के, इतिहास गढ़ने के दिन भी यही ह

यही दिन है उमंगों के, इतिहास गढ़ने के दिन भी यही है;
यही दिन है शांति के और युद्ध लड़ने के दिन भी यही है: 
यही दिन है प्यार के इज़हार के,इकरार के दिन भी यही है:
यहीं दिन है जिस्म के श्रृंगार के,हथियार के दिन भी यही है।

©दीपक मालवीय
  यही दिन है...
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