प्रकृति के रंगों की अभिव्यंजना सुखद अहसास कुछ संवेदनाएं मेरे बेरंग पन्नों में सब कुछ ही तुम्हारा है। विरह व्याकुल व्यथित मन की व्यथा कुंठा घनीभूत होता तिमिर अंतस पसरा उद्गम सृजन प्रवाह खुशियों में सराबोर आनंद अथाह प्रेरित सब तुम्हीं से हैं मेरे बेरंग पन्नों में। क्षणिक उन्माद विकल प्राणों का अवसाद कुछ मौसमी रंग पतझड़ बदरंग सृजन रचनाओं का विन्यास मात्र ही तो है भावों का मेरा कुछ भी नहीं सब कुछ ही तुम्हारा है। प्रीति #मनोभाव # उद्गम #सृजन #yqdidi #YourQuote poetry