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बूँद-बूँद आँसू चखे, घूँट-घूँट फरियाद । तब जाकर हम

बूँद-बूँद आँसू चखे, घूँट-घूँट फरियाद ।
तब जाकर हम जी सके, प्रिये तुम्हारे बाद ।।

©राहुल द्विवेदी 'स्मित'
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प्रिये तुम्हारे बाद

humantouch कविता दोहा प्रिये तुम्हारे बाद

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