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एक दिन मैंने दिल से पूछा,तुम्हें दर्द क्यों होता ह

एक दिन मैंने दिल से पूछा,तुम्हें दर्द क्यों होता है......
दिल ने  कहा  तू  ही बता,,चुपचाप क्यों रोता है......
मैंने कहा,
बेईमानों की दुनिय, लगती है सबको बहुत प्यारी।
श्री राम की धरती पर,हिन्दुओं को बनाया अत्याचारी।
रक्तपात  मचाने वाले,बन रहा है  सदाचारी।
कोई हत्यारा, कोई बलात्कारी।।

एक दिन,मैंने दिल से पूछातुम्हें दर्द क्यों होता है......
दिल  ने  कहा तू  ही बता,अकेले में क्यों रोता है.....
मैंने कहा,
दर्द को आंसुओं से धो रहा हू,अपनो को खो रहा हूं,
आतंक की धरती बनी दुनिया, मैं सिर्फ शब्दों में रो रहा हूं।
कभी भारत,कभी अमेरिका, कभी कनाडा,कभी सीरिया,
इस्लामिक आतंक से इंसानियत को खत्म कर रहा हूं।
मैंने कहा,
अल्लाह भी परेशान है आज मुसलमानों के दरिंदगी से,
खुदा भी बहुत दूर  है आज , इंसानो के सच्चे बंदगी से।
हे भगवान जाती,धर्म के चक्कर में लोगों को क्यों डाला,
सब के गले में डाल दे रंग बिरंगे फूलों कि माला।
प्रमोद 
मत बना धरती को ज्वाला , मत बना धरती को ज्वाला।।
*************************************************
प्रमोद मालाकार कि कलम से......27.10.23

©pramod malakar #धरती को मत बना ज्वाला
एक दिन मैंने दिल से पूछा,तुम्हें दर्द क्यों होता है......
दिल ने  कहा  तू  ही बता,,चुपचाप क्यों रोता है......
मैंने कहा,
बेईमानों की दुनिय, लगती है सबको बहुत प्यारी।
श्री राम की धरती पर,हिन्दुओं को बनाया अत्याचारी।
रक्तपात  मचाने वाले,बन रहा है  सदाचारी।
कोई हत्यारा, कोई बलात्कारी।।

एक दिन,मैंने दिल से पूछातुम्हें दर्द क्यों होता है......
दिल  ने  कहा तू  ही बता,अकेले में क्यों रोता है.....
मैंने कहा,
दर्द को आंसुओं से धो रहा हू,अपनो को खो रहा हूं,
आतंक की धरती बनी दुनिया, मैं सिर्फ शब्दों में रो रहा हूं।
कभी भारत,कभी अमेरिका, कभी कनाडा,कभी सीरिया,
इस्लामिक आतंक से इंसानियत को खत्म कर रहा हूं।
मैंने कहा,
अल्लाह भी परेशान है आज मुसलमानों के दरिंदगी से,
खुदा भी बहुत दूर  है आज , इंसानो के सच्चे बंदगी से।
हे भगवान जाती,धर्म के चक्कर में लोगों को क्यों डाला,
सब के गले में डाल दे रंग बिरंगे फूलों कि माला।
प्रमोद 
मत बना धरती को ज्वाला , मत बना धरती को ज्वाला।।
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प्रमोद मालाकार कि कलम से......27.10.23

©pramod malakar #धरती को मत बना ज्वाला

#धरती को मत बना ज्वाला #कविता