#FourlinePoetry "दुनिया में दो ही रंग है एक गोरा दूसरा कृष्ण वर्ण या काला। इंसान का आंकलन उसके रंग रुप सौंदर्य के आधार पर करना कतई भी प्रासंगिक नहीं है। विभिन्न,रंग-रुप सौंदर्य युक्त मनुष्य देह भी अन्ततः चिता में भस्म होकर खाक हो जाती है। ख़ाक से फिर राख हो जाती है"। ©ऋतुराज पपनै "क्षितिज" #fourlinepoetry