शाम ढलते-ढलते यूं रात आयी साये में समेटे, निराशा अपने साथ लायी । मदिरा लगती नयन से तेरे जो छलकी लगा तेरी पलकें झपकी और तुम्हारी याद आयी । अधरो को छुआ जब प्याला मदिरा की न जाने क्यूं फिर अश्रुओं की बरसात आयी । ©trilokibhogta शाम ढलते-ढलते #nojotohindi #poetryforlife #poem