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मालिक आओ सजा ले आज को, कल

                        मालिक
आओ सजा ले आज को, कल का पता नहीं
कल की तो छोडिए जनाब, पल का पता नहीं

इस जिंदगी में जिंदगी, खुद को संवार ले
क्यूकी टूटा जो फूल डाल से,फिर वो जुडा नहीं

आओ सजा ले आज को, कल का पता नहीं 
होगी कबूल न कभी, हरगिज वाे बंदगी

जिसमें जिक्र खुदा तो है, मगर खोफ ए खुदा नहीं
होगा गुरूर के सिवा, इस दिल में और क्या

जिस दिल में इस जगत का, मालिक बसा नहीं।

©Sunita
  मालिक
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Sunita

New Creator

मालिक #कविता

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