दोहा :- झूठा ये संसार है , झूठे सारे मीत । सच्चा तो भूखा रहे , गाता कान्हा गीत ।।१ स्वार्थी रिश्तें तो सदा , देते हैं दुत्कार । देखा है देखो अभी , माया रूपी प्यार ।।२ दाता कष्टों से नहीं , होती है क्यों पीर । धोखा खाके क्यों बहे , दो नैनों से नीर ।।४ २७/०४/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- झूठा ये संसार है , झूठे सारे मीत । सच्चा तो भूखा रहे , गाता कान्हा गीत ।।१ स्वार्थी रिश्तें तो सदा , देते हैं दुत्कार । देखा है देखो अभी , माया रूपी प्यार ।।२ दाता कष्टों से नहीं , होती है क्यों पीर ।