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मैं नदारद हूँ शाम-सा , इस शहर में तू सहर-सी है इस

मैं नदारद हूँ शाम-सा , इस शहर में

तू सहर-सी है इसी शहर में.............!

जिंदगी की कश्मकश से बदलती मेरे चेहरे की रंगत,

ताज्जुब है तू सहर-सी है,किसी पहर में ।

-- अमोद गुप्ता मैं नदारद हूँ शाम-सा , इस शहर में

तू सहर-सी है इसी शहर में.............!

जिंदगी की कश्मकश से बदलती मेरे चेहरे की रंगत,

ताज्जुब है तू सहर-सी है,किसी पहर में ।
मैं नदारद हूँ शाम-सा , इस शहर में

तू सहर-सी है इसी शहर में.............!

जिंदगी की कश्मकश से बदलती मेरे चेहरे की रंगत,

ताज्जुब है तू सहर-सी है,किसी पहर में ।

-- अमोद गुप्ता मैं नदारद हूँ शाम-सा , इस शहर में

तू सहर-सी है इसी शहर में.............!

जिंदगी की कश्मकश से बदलती मेरे चेहरे की रंगत,

ताज्जुब है तू सहर-सी है,किसी पहर में ।
amodgupta1297

amod gupta

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