मैं नदारद हूँ शाम-सा , इस शहर में तू सहर-सी है इसी शहर में.............! जिंदगी की कश्मकश से बदलती मेरे चेहरे की रंगत, ताज्जुब है तू सहर-सी है,किसी पहर में । -- अमोद गुप्ता मैं नदारद हूँ शाम-सा , इस शहर में तू सहर-सी है इसी शहर में.............! जिंदगी की कश्मकश से बदलती मेरे चेहरे की रंगत, ताज्जुब है तू सहर-सी है,किसी पहर में ।