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"मुस्कान ए चांदनी" "न जाने क्यों आजकल तुम बदले बद

"मुस्कान ए चांदनी"
"न जाने क्यों आजकल तुम 
बदले बदले नज़र आते हो 
जख्मों को दिल के
 हमसे ही छुपाते हो
चांद को हमारे
 किन बादलों ने ढक रखा है
 हमको बतलाओ जरा
 दिल से कह चुके हम तुमसे
 दिल का हर जख्म
 बयां कर सकते हो तुम हमसे
 मरहम मोहब्बत का 
हर जख्म पर लगा देंगे तुम्हारे
 हमें भरोसा है आज भी तुम पर
 हमें तुम आज भी खूबसूरत 
मुस्कान ए चांदनी  लगती हो।"

©Azaad Pooran Singh Rajawat
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