बूँदें एक नई आशा की किरण बनकर, सबक हमें सिखलाती है, बूँद बूँद से ही घट भरे, बूँद बूँद जमा होकर समंदर बन जाती है। प्यासी बँजर धरा तृप्त करे,सम्पूर्ण चराचर को सजीव बनाती है, करो संरक्षण हर बूँद की, प्रकृति को संतुलन कर हमें बचाती है। OPEN FOR COLLAB ✓challenge by Ias Guideline Ias Guideline में आपका स्वागत है🙏 ✨हमेशा रचनात्मक और अधिक लिखने की कोशिश करें