मानते हैं शिकायतें हजारों होंगी तुमको मेरी छीटों भरी तस्वीर से,, सच ए भी है तुम छीटों के सीसे हटाना नहीं चाहते। हम तो आज भी तुम्हारी धड़कनो को महसूश कर लेते हैं दूर से। पहले की तरह पर दिल की तुम सुनाना नहीं चाहते। ✍️वृजेश शुक्ल....... निध्यानंद😊😊