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उम्र ढल रही हर दिन लेकिन फिर से बीते दिनों में जान

उम्र ढल रही हर दिन
लेकिन फिर से बीते दिनों में जाने की 
उम्मीद जाग रही है।
किसी के बचपन मे अपना बचपन दिख रहा अब
जिंदगी देखने दे, ठहर जा थोड़ी
क्यों तू बेपरवाह भाग रही है।
 ठहर जा

#संतोष_भट्ट_सोनू 
#santosh_bhatt_sonu 
#बचपनकाख़्वाब 
#बचपनकीयादें 
#बचपन_के_वो_दिन 
#bachpan
उम्र ढल रही हर दिन
लेकिन फिर से बीते दिनों में जाने की 
उम्मीद जाग रही है।
किसी के बचपन मे अपना बचपन दिख रहा अब
जिंदगी देखने दे, ठहर जा थोड़ी
क्यों तू बेपरवाह भाग रही है।
 ठहर जा

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