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केसे दु में माँ कि परिभाषा जीवन कि एक वही है आशा,,

केसे दु में माँ कि परिभाषा
जीवन कि एक वही है आशा,,
हर एक शब्द छोटा हर एक 
काव्य छोटा उसकी ममता में,
स्नेह कि मूर्ति वह ममता के फ़ूल
खिलते उसकी प्यार कि लता में,,
उसका लाड़ उसका दुलार उसकी
वो मधुर सी सुला देने वाली लोरी,,
उसके बिना एक पल ना गुजरे 
ऐसी बांध रखती प्रेम कि डोरी,,
हर पल हर छण संग रहता है 
उसका हमारे सिर पर आशीर्वाद,
खुद भूखी रह पेट हमारा भरती
सुखी रोटी भी लगता ईश्वर क़ा प्रसाद,,,,
उसका ममता क़ा अचल बचाता था 
जिंदगी कि हर चिलचिलाती धूप से,,
कभी सख्त कभी कोमल बन पाला 
कहो दर्शन करवाउ ईश्वर के किस रूप से,,
जीवन कि प्रथम गुरु वह शिक्षा,
संस्कारों का भंडार उसी से पाया,
नव सृजन किया जीवन में उसी ने
शिक्षा का उजियारा हर औऱ फेलाया,,
मजधार में अटकी नय्या को हमेशा 
पार लगाती है बनकर पतवार,
आजाती है हमेशा उबारने जब भी
संकट में करता हू उससे पुकार,,
उसके गीत उसकी प्रीत उसकी हार में 
बदली हुई जीत बसा ली है अंतर्मन में,,
जब निराशा शोर मचाये देख लेता हू 
पावन छवि जो बसी है मन के दर्पण में,,
उसके समर्पण उसके त्याग कि, ममता 
कि परिभाषा केसे लिखू उसके वंदन में,,
कलम कि स्याही सुखी महानताये 
है अनगिनत भाग्यशाली हम माँ 
बांधे रखती हमे पावन बंधन में,,,
माँ बांधे रखती हमे पावन बंधन में,,,,

#happy_mother's #day
✍️नितिन कुंवादे..

©Nitin Kuvade #MothersDay2021
केसे दु में माँ कि परिभाषा
जीवन कि एक वही है आशा,,
हर एक शब्द छोटा हर एक 
काव्य छोटा उसकी ममता में,
स्नेह कि मूर्ति वह ममता के फ़ूल
खिलते उसकी प्यार कि लता में,,
उसका लाड़ उसका दुलार उसकी
वो मधुर सी सुला देने वाली लोरी,,
उसके बिना एक पल ना गुजरे 
ऐसी बांध रखती प्रेम कि डोरी,,
हर पल हर छण संग रहता है 
उसका हमारे सिर पर आशीर्वाद,
खुद भूखी रह पेट हमारा भरती
सुखी रोटी भी लगता ईश्वर क़ा प्रसाद,,,,
उसका ममता क़ा अचल बचाता था 
जिंदगी कि हर चिलचिलाती धूप से,,
कभी सख्त कभी कोमल बन पाला 
कहो दर्शन करवाउ ईश्वर के किस रूप से,,
जीवन कि प्रथम गुरु वह शिक्षा,
संस्कारों का भंडार उसी से पाया,
नव सृजन किया जीवन में उसी ने
शिक्षा का उजियारा हर औऱ फेलाया,,
मजधार में अटकी नय्या को हमेशा 
पार लगाती है बनकर पतवार,
आजाती है हमेशा उबारने जब भी
संकट में करता हू उससे पुकार,,
उसके गीत उसकी प्रीत उसकी हार में 
बदली हुई जीत बसा ली है अंतर्मन में,,
जब निराशा शोर मचाये देख लेता हू 
पावन छवि जो बसी है मन के दर्पण में,,
उसके समर्पण उसके त्याग कि, ममता 
कि परिभाषा केसे लिखू उसके वंदन में,,
कलम कि स्याही सुखी महानताये 
है अनगिनत भाग्यशाली हम माँ 
बांधे रखती हमे पावन बंधन में,,,
माँ बांधे रखती हमे पावन बंधन में,,,,

#happy_mother's #day
✍️नितिन कुंवादे..

©Nitin Kuvade #MothersDay2021
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Nitin Kuvade

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