मेरे जीवन के जीवन साथी सुख दुख के मेरे हमराही तुम साथ हों तो मुझे नहीं लगे कोई कांटा भी पाई तुमसे जो हर खुशी तुमने वो खुश होकर दी हैं करम तेरा मुझपे तेरी मेहरबानी यूं ही चलते रहना साथ मेरे हाथों अपने मेरा हाथ लिये तुमसे शुरू हों ख़त्म हों मेरी जिंदगानी क्या लिखा हैं खूब "ज़ुबैर"ने आशआर ये सारे दिलों के बयां लोगों की कहानी ज़ुबैर खांन ©SZUBAIR KHAN KHAN जीवन साथी