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एक थैले में जिंदगी समेटे हुए, दो रोटी कागज़ में लप

एक थैले में जिंदगी समेटे हुए,
दो रोटी कागज़ में लपेटे हुए। 
दिन भर, पहर बे पहर। 
शाम फुटपाथ पे लेटे हुए।
सरल सा सवाल,
जिंदगी का जिंदगी से,
कठिन है हल सायद,
सारी उम्र की ठोकरें,
पग पग तजुर्बा लेते हुए। 
सच की खोज में निरंतर,
गिरते संभलते हुए। 
हंसते रोते हुए
दुखों को ढोते हुए।

©AshuAkela
  #Identity #roshani #raah