घुंघट उठा दिया उसने मेरी गांव की गली वीरान देखकर मैं छत पर बैठा रह गया दंग अपने गांव की गली में चांद देखकर कुछ ही शब्दों में लिख रहा हूं कुछ ही क्षणों का वो फरमान देखकर मैं दांतों तले उंगली दबा ही लिया आखिर अंधेरी सी गली में चमकती चांद देखकर मैं छत पर बैठा रह गया दंग अपने गांव की गली में चांद देखकर पूनम की चांदनी सी मुखड़ा सजी थी उनकी मैं पल भर में जैसे कंपन महसूस किया अंधेरी रात में उनके चेहरे पर मुस्कान देखकर मैं छत पर बैठा रह गया दंग अपने गांव की गली में चांद देखकर गली के नुक्कड़ तक उनको देखता रहा कोई कुछ कह ना दें उनको अनजान देखकर मैं तो आखिर में उनको अपने घर में बुलाया है घर वाले शक करते रहे मेरे ये मेहमान देखकर मैं छत से दौड़ता अपने बरामदे तक आया अपने अंधेरी सी वस्ती में एक चांद देखकर मैं छत पर बैठा रह गया दंग अपने गांव की गली में चांद देखकर ©कुमार दीपेन्द्र #Love #Moon #Bride