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जब तक वजूद इन दरख्तों का तब तक ज़माना सुहाना है जब

जब तक वजूद इन दरख्तों का तब तक ज़माना सुहाना है
जब तक फूल डाली में तब तक दीवानों का नज़राना है
वर्षेंगीं अंगारें आसमां से मही पर नहीं कहीं शरण होगा
मायूसी का बादल छाने से पहले हमें खुद को आजमाना है

©Deepnarayan Upadhyay
  #WorldEnvironmentDay 
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