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मैं दुआ पढूं तो तेरा ज़िक्र हो। मेरे इश्क़ में भी

मैं दुआ पढूं तो तेरा ज़िक्र हो। 
मेरे इश्क़ में भी तेरी फिक्र हो।
मैं तुम्हें याद करूं तो आंह भरूं।
गर तुमसे मिलूं तो भांह भरूं।
तेरी उंगलियों में मेरी उंगलियां हो।
तेरे गालों पर, बस मेरी झलकियां हो।
तेरी नज़र झुके, तो मैं चूम लूं।
नज़र मिले, तो बस झूम लूं।
एक हाथ तेरी कमर पे रख।
ख़ुद की ओर मैं खींच लूं।
सच है या फिर झूठ ये,
इक बार मैं आंखें मींच लूं।
जुल्फों को मैं, तेरी छेड़ कर।
कान पर बस, साट दूं।
गर चूमते वक्त तंग करे, तो,
प्यार से, मैं उन्हें डांट दूं।
मैं मेरे कांपते होंठ को बस,
तेरे होंठ का, स्पर्श दे दूं।
फ़िर जो आंख बंद, तेरी हुई तो,
इस इश्क़ को तेरा नाम दे दूं।
कुछ वक्त तक तेरे होंठ पर मैं,
जिंदगी का सार ले लूं।
छोड़ कर बरसों की चिंता,
मैं सारा तेरा प्यार ले लूं।
मेरे कांपते होंठों को बस,
मैं पता तेरे होंठों का दे दूं।
और तेरी उलझनों का बोझ मैं,
चुटकियों में तुझसे ले लूं।।
ये चंद पल, न कभी भार हो।
मेरा इश्क़ ही, तेरा हार हो।।
और जब कभी तू सोचे मुझे,
बस मेरा इश्क़ ही, स्वीकार हो।
तेरी तिश्नगी शबनम सी हो,
और तलब मेरी इक खुमार हो।
मेरी बंदगी पर तुझे नाज़ हो,
तेरे इश्क़ का, मुझे खुमार हो।
मेरी नज़्म का तू उनवान हो,
मेरी रूह पर तेरा नाम हो।
तेरी मांग गर देखे कोई,
बस वो ही मेरी पहचान हो।।

©Shivank Shyamal मैं दुआ पढूं तो तेरा ज़िक्र हो। 
मेरे इश्क़ में भी तेरी फिक्र हो।
मैं तुम्हें याद करूं तो आंह भरूं।
गर तुमसे मिलूं तो भांह भरूं।
तेरी उंगलियों में मेरी उंगलियां हो।
तेरे गालों पर, बस मेरी झलकियां हो।
तेरी नज़र झुके, तो मैं चूम लूं।
नज़र मिले, तो बस झूम लूं।
मैं दुआ पढूं तो तेरा ज़िक्र हो। 
मेरे इश्क़ में भी तेरी फिक्र हो।
मैं तुम्हें याद करूं तो आंह भरूं।
गर तुमसे मिलूं तो भांह भरूं।
तेरी उंगलियों में मेरी उंगलियां हो।
तेरे गालों पर, बस मेरी झलकियां हो।
तेरी नज़र झुके, तो मैं चूम लूं।
नज़र मिले, तो बस झूम लूं।
एक हाथ तेरी कमर पे रख।
ख़ुद की ओर मैं खींच लूं।
सच है या फिर झूठ ये,
इक बार मैं आंखें मींच लूं।
जुल्फों को मैं, तेरी छेड़ कर।
कान पर बस, साट दूं।
गर चूमते वक्त तंग करे, तो,
प्यार से, मैं उन्हें डांट दूं।
मैं मेरे कांपते होंठ को बस,
तेरे होंठ का, स्पर्श दे दूं।
फ़िर जो आंख बंद, तेरी हुई तो,
इस इश्क़ को तेरा नाम दे दूं।
कुछ वक्त तक तेरे होंठ पर मैं,
जिंदगी का सार ले लूं।
छोड़ कर बरसों की चिंता,
मैं सारा तेरा प्यार ले लूं।
मेरे कांपते होंठों को बस,
मैं पता तेरे होंठों का दे दूं।
और तेरी उलझनों का बोझ मैं,
चुटकियों में तुझसे ले लूं।।
ये चंद पल, न कभी भार हो।
मेरा इश्क़ ही, तेरा हार हो।।
और जब कभी तू सोचे मुझे,
बस मेरा इश्क़ ही, स्वीकार हो।
तेरी तिश्नगी शबनम सी हो,
और तलब मेरी इक खुमार हो।
मेरी बंदगी पर तुझे नाज़ हो,
तेरे इश्क़ का, मुझे खुमार हो।
मेरी नज़्म का तू उनवान हो,
मेरी रूह पर तेरा नाम हो।
तेरी मांग गर देखे कोई,
बस वो ही मेरी पहचान हो।।

©Shivank Shyamal मैं दुआ पढूं तो तेरा ज़िक्र हो। 
मेरे इश्क़ में भी तेरी फिक्र हो।
मैं तुम्हें याद करूं तो आंह भरूं।
गर तुमसे मिलूं तो भांह भरूं।
तेरी उंगलियों में मेरी उंगलियां हो।
तेरे गालों पर, बस मेरी झलकियां हो।
तेरी नज़र झुके, तो मैं चूम लूं।
नज़र मिले, तो बस झूम लूं।

मैं दुआ पढूं तो तेरा ज़िक्र हो। मेरे इश्क़ में भी तेरी फिक्र हो। मैं तुम्हें याद करूं तो आंह भरूं। गर तुमसे मिलूं तो भांह भरूं। तेरी उंगलियों में मेरी उंगलियां हो। तेरे गालों पर, बस मेरी झलकियां हो। तेरी नज़र झुके, तो मैं चूम लूं। नज़र मिले, तो बस झूम लूं। #together #शायरी