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कोरोनावायरस पर लिखा मेरा एक गीत {}{}{}{}{}{}{}{}{}

कोरोनावायरस पर लिखा मेरा एक गीत
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ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा आज तू कर लो वादा,
जीने की तमन्ना है या मरने का है इरादा..........।।
ऐ मेरे वतन के लोगों...................................
यह देश तुम्हारा है,बच्चों का तू ही सहारा है........
आया है एक मौत,जो कोरोना है...................2
निकले अगर घर से,तेरे बच्चों को रोना है.........2
जब परिवार किसी का जुदा होता है................
दिल पर क्या गुजरती है..............................
जरा याद करो उनको.................................
जो डॉक्टर नर्स सिपाही दे रहे हैं कुर्बानी..........2
ऐ मेरे वतन के लोगों..................................
सुला रही है आंखें, आंसुओं की धार से............
कहीं लाशों का ढेर कहीं भूखों की मार से.........
दर्द जाकर उनसे पूछो जिनके अपने...............
छोड़ चले संसार से..................................2
दुनिया आज तबाह है कोरोना के नरसंहार से.....
ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा आज तू कर लो वादा,
जीने की तमन्ना है या मरने का है इरादा.........।।
()()()()()()()()()()()()()()()()()()()()()()()()()()()()()
प्रमोद मालाकार की कलम से
23 अप्रैल 2020
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©pramod malakar #कोरोनावायरस पर लिखी मेरी एक गीत
कोरोनावायरस पर लिखा मेरा एक गीत
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ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा आज तू कर लो वादा,
जीने की तमन्ना है या मरने का है इरादा..........।।
ऐ मेरे वतन के लोगों...................................
यह देश तुम्हारा है,बच्चों का तू ही सहारा है........
आया है एक मौत,जो कोरोना है...................2
निकले अगर घर से,तेरे बच्चों को रोना है.........2
जब परिवार किसी का जुदा होता है................
दिल पर क्या गुजरती है..............................
जरा याद करो उनको.................................
जो डॉक्टर नर्स सिपाही दे रहे हैं कुर्बानी..........2
ऐ मेरे वतन के लोगों..................................
सुला रही है आंखें, आंसुओं की धार से............
कहीं लाशों का ढेर कहीं भूखों की मार से.........
दर्द जाकर उनसे पूछो जिनके अपने...............
छोड़ चले संसार से..................................2
दुनिया आज तबाह है कोरोना के नरसंहार से.....
ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा आज तू कर लो वादा,
जीने की तमन्ना है या मरने का है इरादा.........।।
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प्रमोद मालाकार की कलम से
23 अप्रैल 2020
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©pramod malakar #कोरोनावायरस पर लिखी मेरी एक गीत