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क़ाफ़िया -- 🌹आऊँ🌹 रदीफ़ -- 🌹 कैसे 🌹 बहर


क़ाफ़िया --  🌹आऊँ🌹
रदीफ़ --     🌹 कैसे 🌹

बहर --  222  222  222  22
****************************
दामन  में  है  जो  दाग,  छुड़ाऊँ  कैसे,
बाबुल से  अपने  दाग,  छुपाऊँ  कैसे।

दिल में  जलता था, उम्मीदों  का दीया,
बुझते  दीये  को  आज,  जलाऊँ कैसे।

सारी उम्र  किया, रिश्तों  की  कद्र नहीं,
वैसे  रिश्तों  को  आज,  निभाऊँ  कैसे।

रूठ  गए   मेरे  अपने,  जिन  बातों  पे,
अपनों से  दिल की बात, बताऊँ  कैसे।

अरमानों  को   टूटकर,  बिखरते  देखा,
टूट  चुका  है जो, आज  सजाऊँ  कैसे।

निकल चुका हूँ दूर, बहुत ही अपनों से,
आना  भी   चाहूँ  तो,  मैं  आऊँ   कैसे।

मधुकर छलक गया है, पैमाना बनकर,
पैमानों  को  होंठों  तक,   लाऊँ  कैसे। #yqdidi #yqbaba 
#anil_madhukar 
Anil Prasad Sinha 
#ग़ज़ल 
#क़ाफ़िया_आऊँ
#रदीफ़_कैसे

क़ाफ़िया --  🌹आऊँ🌹
रदीफ़ --     🌹 कैसे 🌹

बहर --  222  222  222  22
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दामन  में  है  जो  दाग,  छुड़ाऊँ  कैसे,
बाबुल से  अपने  दाग,  छुपाऊँ  कैसे।

दिल में  जलता था, उम्मीदों  का दीया,
बुझते  दीये  को  आज,  जलाऊँ कैसे।

सारी उम्र  किया, रिश्तों  की  कद्र नहीं,
वैसे  रिश्तों  को  आज,  निभाऊँ  कैसे।

रूठ  गए   मेरे  अपने,  जिन  बातों  पे,
अपनों से  दिल की बात, बताऊँ  कैसे।

अरमानों  को   टूटकर,  बिखरते  देखा,
टूट  चुका  है जो, आज  सजाऊँ  कैसे।

निकल चुका हूँ दूर, बहुत ही अपनों से,
आना  भी   चाहूँ  तो,  मैं  आऊँ   कैसे।

मधुकर छलक गया है, पैमाना बनकर,
पैमानों  को  होंठों  तक,   लाऊँ  कैसे। #yqdidi #yqbaba 
#anil_madhukar 
Anil Prasad Sinha 
#ग़ज़ल 
#क़ाफ़िया_आऊँ
#रदीफ़_कैसे