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कदमों की आहट सुनते ही, दुश्मन थर थर कांपे है, पैदल

कदमों की आहट सुनते ही, दुश्मन थर थर कांपे है, पैदल चलते वीरों ने जाने, कितने बीहड़ नापे है,

 उन शहीदों ने मरते मरते, अपना पूरा काम किया, दुश्मनों को मार गिराया, देश का ऊंचा नाम किया,

 कारगिल के युद्ध में दुश्मनों की लाशों का ढेर बिछाया था, कश्मीर की घाटी में उन्होंने, तिरंगा अपना लहराया था,

 ये अमर गीत है, सुन लो बेटा ये काफिर की जुबानी है, जो लौट कभी ना घर आए, ये उन वीरों की कहानी है,

©Jigarsinh  Zala
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