पेज-83 यहाँ रुचिका बहन, शालिनी के हाथ पकडकर नृत्य कर रही हैं.. राखी जी दिव्या को अपनी ढाल बनाकर नृत्य का आनन्द ले रहे हैं.. प्राजक्ता, मनीषा शुक्ला जी को छेड़ते दिख रहे हैं मानो कहते हों-दी जमकर नृत्य कीजिये ना.. आप तो बस दो चार ठुमके लगाकर शांत हो जा रहे हैं... ऐसे में मज़ा नहीं आ रहा.. प्लीज... और इतना सुनते ही... मनीषा जी प्राजक्ता के खातिर डान्स करने लगते हैं... और तब एक फरमाईस बज उठी... पल्लो लटके रे म्हारो पल्लो लटके .. पल्लो लटके रे म्हारो पल्लो लटके... जरा सा... जरा सा... जरा सा सीधो कर दे बा..लमा मेरो पल्लो लटके.. और महिलामंडल के डान्स को इतनी सहजता हुई कि हर कोई इस गीत फॉर्म में शिरकत करने को विवश हो गया... आगे कैप्शन में..🙏 ©R. K. Soni #रत्नाकर कालोनी पेज-83 आगे तब तक... डी जे वाले बाबू मेरा गाना लगा दें .. डी जे वाले बाबू मेरा गाना लगा दे... और डी जे वाले बाबू ने लगा दिया गाना.. तेरे मस्त मस्त दो नैन.. मेरे दिल का ले गये चैन..