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होश नहीं है दिल को ये जो आलम धुआँ-धुआँ बेरंगी चाहत

होश नहीं है दिल को
ये जो आलम धुआँ-धुआँ
बेरंगी चाहतें,उफ़्फ़ नादानियाँ
हो,साँसों में घुली हया
जैसे उलझी हो डोर हाथों में 
और हसरतों का पतंग कटा

©paras Dlonelystar
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