प्रेम को फैलाओ स्वयं को नई तरंगो पर महसूस करो जैसे की प्रेम क़े सागर. मे तुम तैर रहे हो इस से पहले कि तुम प्रेम बनो तुम्हे प्रेम बनना होगा ज़ब तुम्हारे पास प्रेम नहीं है तुम प्रेमी कैसे बनपाओगे? बहुत सारे लोग प्रेम बांटना चाहते है. लेकिन बांटेंगे कैसे ज़ब उनके पास प्रेम ही न हो ©Parasram Arora प्रेम की पूँजी