सोते,जागते,उठते,बैठते हरवक्त हरघड़ी आंखों के सामने उसी का चेहरा रहता था| चाहता था मैं हद से ज्यादा उसे हरवक्त उसी के खयालों में खोया रहता था| पहचान नहीं पाई कभी वो प्यार को मेरे ना ही कभी मेरे प्यार को उसने जाना| मैं ही था के दिलोजान से उसे अपनी मान कर उसी से बेइंतेहा इश्क़ कर अपनी जान बनाया था| पर जाना अब मैने के कदर नहीं उसे मेरे प्यार की क्या मतलब फिर ऐसे रिश्ते ऐसा प्यार जबरन निभाने की| बस ठान लिया अब के कोई रिश्ता नहीं रखना उससे तड़पता था जिसके लिए,मुझे बेपनाह इश्क़ था जिससे| जबरदस्ती का प्यार... #बेमतलबके_रिश्ते सोते,जागते,उठते,बैठते हरवक्त हरघड़ी आंखों के सामने उसी का चेहरा रहता था| चाहता था मैं हद से ज्यादा उसे हरवक्त उसी के खयालों में खोया रहता था| पहचान नहीं पाई कभी वो प्यार को मेरे ना ही कभी मेरे प्यार को उसने जाना|