" ख्वाबों का मंज़र एहसास लिए बैठे हैं , तु मुहब्बत हैं मैं ख्वाब लिए बैठे हैं , मिला कर तु कहीं शाम ढले , देख मैं इन्तज़ार में बैठा हूं . --- रबिन्द्र राम #ख्वाबों #मंज़र #एहसास #मुहब्बत #शाम #इन्तज़ार