तड़प रहे हैं याद में उसकी, तन्हा बेचैन दिन रात..!

 तड़प रहे हैं याद में उसकी,
तन्हा बेचैन दिन रात..!

टूट पड़ा है क़हर दुखों का,
यूँ ही अकस्मात्..!

क़ैद हैं जैसे मोहब्बत में ऐसे,
कारावास का मिला आघात..!

सुख का सूरज डूब गया,
बची बस काली रात..!

मरते रहे दूसरों की ख़ातिर,
पर मिला न किसी का साथ..!

बरसती रहीं निग़ाहें यूँ और,
पिघलते रहे सारे जज़्बात..!

©SHIVA KANT
  #humantouch #BechainMan
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