Nojoto: Largest Storytelling Platform

White क्या धनतेरस क्या दीवाली। कैसी खुशियां और खुश

White क्या धनतेरस क्या दीवाली।
कैसी खुशियां और खुशहाली।
चमक रौशनी के सब फीके -
जीवन काजल जैसी काली।

न  उत्साह  न  कोई  उमंग।
खुशियों की नहीं कोई तरंग।
मन आंगन सूना - सूना है -
बुझी  रौशनी  उतरा   रंग।

अपनों के खोने का ग़म है।
भीगी पलकें आंखें नम है।
बुझा हुआ है आस का दीया-
अंतहीन अंतस  में  तम है।

दिन बेनूर सी बदली वाली।
रात अमावस जैसी काली।
कैसे मन का दिया जलाएं-
कैसे  मनाएं  हम  दीवाली।

रिपुदमन झा 'पिनाकी'
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

©रिपुदमन झा 'पिनाकी' #ग़म
White क्या धनतेरस क्या दीवाली।
कैसी खुशियां और खुशहाली।
चमक रौशनी के सब फीके -
जीवन काजल जैसी काली।

न  उत्साह  न  कोई  उमंग।
खुशियों की नहीं कोई तरंग।
मन आंगन सूना - सूना है -
बुझी  रौशनी  उतरा   रंग।

अपनों के खोने का ग़म है।
भीगी पलकें आंखें नम है।
बुझा हुआ है आस का दीया-
अंतहीन अंतस  में  तम है।

दिन बेनूर सी बदली वाली।
रात अमावस जैसी काली।
कैसे मन का दिया जलाएं-
कैसे  मनाएं  हम  दीवाली।

रिपुदमन झा 'पिनाकी'
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

©रिपुदमन झा 'पिनाकी' #ग़म