मै मीनार पर चढ़कर आशमाँ छू रहा था, झुककर देखा तो पिता का कन्धा नज़र आया, राहें आसान होती जा रहीं थी मेरी, मै सोचता था की कौन है जो मेरे लिए राश्ते बना रहा, मुड़कर देखा तो माँ का चेहरा नज़र आया.... माँ का चेहरा नज़र आया. .....