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मोहिनी छन्द :- क्या हुआ सखि आज भी , साजन नही । भू

मोहिनी छन्द :-

क्या हुआ सखि आज भी , साजन नही ।
भूल जा तू आज भी , सावन नही ।।
बैठकर डेहरी पर , आस रखती ।
देखकर यह खिडकियां , राह तकती ।।

भूल थी प्रीत करना , आज सजना ।
झूठ के शृंगार से , माँग भरना ।।
बह रहे आज निर्झर , देख नयना ।
चुप अधर होकर कहे , मौन रहना ।।

रूप से मोह लेती , आज तुमको ।
तो न पड़ता तड़पना , देख हमको ।।
पर हुआ ऐसा नही , प्रीत करके ।
जल रहा प्यासा बदन , आग भड़के ।।

तुम निर्मोही होगे , क्या खबर थी ।
प्रेम की तुम पर सदा , ये नजर थी ।।
सरबस लुटा कर आज ,पागल हुई ।
प्रेम में पड़कर सुनो , हालत हुई ।।

२६/०७/२०२३   -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मोहिनी छन्द :-

क्या हुआ सखि आज भी , साजन नही ।
भूल जा तू आज भी , सावन नही ।।
बैठकर डेहरी पर , आस रखती ।
देखकर यह खिडकियां , राह तकती ।।

भूल थी प्रीत करना , आज सजना ।
मोहिनी छन्द :-

क्या हुआ सखि आज भी , साजन नही ।
भूल जा तू आज भी , सावन नही ।।
बैठकर डेहरी पर , आस रखती ।
देखकर यह खिडकियां , राह तकती ।।

भूल थी प्रीत करना , आज सजना ।
झूठ के शृंगार से , माँग भरना ।।
बह रहे आज निर्झर , देख नयना ।
चुप अधर होकर कहे , मौन रहना ।।

रूप से मोह लेती , आज तुमको ।
तो न पड़ता तड़पना , देख हमको ।।
पर हुआ ऐसा नही , प्रीत करके ।
जल रहा प्यासा बदन , आग भड़के ।।

तुम निर्मोही होगे , क्या खबर थी ।
प्रेम की तुम पर सदा , ये नजर थी ।।
सरबस लुटा कर आज ,पागल हुई ।
प्रेम में पड़कर सुनो , हालत हुई ।।

२६/०७/२०२३   -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मोहिनी छन्द :-

क्या हुआ सखि आज भी , साजन नही ।
भूल जा तू आज भी , सावन नही ।।
बैठकर डेहरी पर , आस रखती ।
देखकर यह खिडकियां , राह तकती ।।

भूल थी प्रीत करना , आज सजना ।

मोहिनी छन्द :- क्या हुआ सखि आज भी , साजन नही । भूल जा तू आज भी , सावन नही ।। बैठकर डेहरी पर , आस रखती । देखकर यह खिडकियां , राह तकती ।। भूल थी प्रीत करना , आज सजना । #कविता