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रूठे-रूठे काग़ज़, कलम और साज़ हैं मुझसे। कुछ इस कदर

रूठे-रूठे काग़ज़, कलम और साज़ हैं मुझसे।

कुछ इस कदर मेरी ग़ज़ल नाराज़ है मुझसे।
🌹VरेN🌹

रूठे-रूठे काग़ज़, कलम और साज़ हैं मुझसे। कुछ इस कदर मेरी ग़ज़ल नाराज़ है मुझसे। 🌹VरेN🌹

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