green-leaves किताब से गुफ्तगू करते, मैं चुप सा हो गया, किताब ने कहा क्या हुआ, किस सोच में पड़ गए ? मैने कहा, जिसने तुम्हे लिखा होगा, क्या सोचा होगा ? बहुत अकेला रहा होगा, दर्द सहा होगा ? या बहुत खुश होगा ? किताब ने कहा, वो तो कलम जानती है, जिससे लिखा गया होगा मुझे, या यह शब्द जो मुझ पर छपे है, मैं तो केवल और केवल शरीर सी हूं, आत्मरूपी शब्दों की, शब्दों ने बयां किए, प्रेम, दुख:, सुख, अलगाव, मिलन, और कलम से मै मिल नहीं सका, किताबें असमर्थ होती है, किसी को जानने में, समझने में.... ©Ajay Chaurasiya #kitabein