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आज मेरे शहर का रुख कैसे हुआ गालिब, अपने आप को तुम्

आज मेरे शहर का रुख कैसे हुआ गालिब,
अपने आप को तुम्हारे अल्फाजों में ही 
महसूस कर लेते थे हम,
मेरी किस्मत को रोशन करने की क्या जरूरत थी
तुम्हारे जाने के बाद यह फिर से बे रोशन हो जाएगी।।

©archi_thoughts
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