मैं और तुम मैं, दीवार पे पिछले साल का कैलेंडर जिसे अभी उतारा नही गया, तुम, साअत-ए-इमरोज़ का अनछुआ लम्हा । मैं, उसी दीवार की एक बंद घडी, तुम, आने वाले वक़्त की सुनहरी उम्मीद । मैं, पुराना अख़बार जिसे अभी बेचा नही गया, तुम, टेलीविज़न की एक ब्रेकिंग न्यूज़ । मैं, किताब में रक्खा इक बर्ग़-ए-ख़िज़ाँ, तुम, बहार में खिले गुलाब की ताज़ा कली । मैं, दिलों में बसी सिर्फ एक याद, तुम, हर किसी की आँखों में बसा एक हसीन चेहरा । ©Sameer Kaul 'Sagar' #मैं_और_तुम #urdu #poetry #ghazal #love #Judaai #pyaar #alone #sameerkaulsagar