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संतुष्ट कोई नहीं खोज कोई बताए जितना ढूंढे उतना अस

संतुष्ट कोई नहीं खोज कोई बताए
जितना ढूंढे 
उतना असंतुष्ट खुद को पाए 

मोह माया का बंधन ये
स्वयं से ज्यादा 
 दूजे सुखी नज़र आए

संतुष्ट कोई नहीं खोज कोई बताए

ये तो अपनी समझ
 कोई आधा भरा तो कोई
खाली आधा गिलास बतलाए

संतुष्ट कोई नहीं खोज कोई बताएं
पेट भरे जो रोटी खाए
फिर भी मन छप्पन भोग को ललचाए

संतुष्ट कोई नहीं खोज कोई बताए
जितना ढूंढे 
उतना असंतुष्ट खुद को पाए *****

©kanchan Yadav
  #सोच