Nojoto: Largest Storytelling Platform

कलयुग में देश नया भेष नया चुनते हैं ख्वाबों म

  कलयुग में देश नया भेष नया चुनते हैं
   ख्वाबों में नए-नए जाल लोग बुनते हैं
   कोयल की गीत नहीं मन को लुभाती है
   कौवे का कांव बड़े चाव से सुनते हैं
    मोहन की बांसुरी न गोपियों को भाती है
     नाच रही ढोल नगाड़े की धुन पर हैं
      भूले मर्यादा लोग भूले सदाचार हैं
       नीति का ज्ञान  कई कोस दूर उनसे है
        घर में बुजुर्गों के लिए बंद दरवाजे
    अनाथों के आश्रम में लावारिस मिलते हैं

©Sunil Kumar Maurya Bekhud
  #कलयुग