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राम-नाम औषधि बड़ी , रमो राम की प्रीत । व्याधि

राम-नाम  औषधि  बड़ी , रमो  राम  की  प्रीत ।
व्याधि कभी  आए  नहीं , बने  राम  जो मीत ।। १

राम-नाम   सुमिरन  करो , राम   करेंगे  पार ।
राम-दूत  भी   कह  रहे , वह  है पालन  हार ।। २

राम  सभी  के  मन  बसे , राम  रहें  हो खोज  ।
राम नहीं  जिस  वस्तु में , नहीं  धरा  पे ओज ।। ३

राम-सिया   के   संग  में ,  लक्ष्मण  छोडे़  राज  ।
देख दुखी सब जन कहे , यह विधना का काज ।। ४

वचन  पिता  का  पूर्ण  हो , मान  गये  रघुनाथ ।
संग सिया के चल दिये , भ्रात अनुज भी साथ ।। ५

कहते  रावण   राम  सें , जब  भाई  हो साथ ।
लंका की  क्या बात है , तीन  लोक  हो हाथ ।। ६

दो भाई  विख्यात  हैं , लखन विभीषण जान ।
भाई की  अति  चाह तो , लखन  माँग इंसान ।। ७

सुनो यहां  क्या  कह रहें , भक्त  वीर हनुमान ।
जो सुमिरें  प्रभु  राम को , बनते  भक्त महान ।। ८

रोम-रोम  में  बस  गये , जिनके अब श्री राम ।
बन  जाते  उनके  सभी , बिगड़े  सारे  काम ।। ९

             महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR राम-नाम  औषधि  बड़ी , रमो  राम  की  प्रीत ।
व्याधि कभी  आए  नहीं , बने  राम  जो मीत ।। १

राम-नाम   सुमिरन  करो , राम   करेंगे  पार ।
राम-दूत  भी   कह  रहे , वह  है पालन  हार ।। २

राम  सभी  के  मन  बसे , राम  रहें  हो खोज  ।
राम नहीं  जिस  वस्तु में , नहीं  धरा  पे ओज ।। ३
राम-नाम  औषधि  बड़ी , रमो  राम  की  प्रीत ।
व्याधि कभी  आए  नहीं , बने  राम  जो मीत ।। १

राम-नाम   सुमिरन  करो , राम   करेंगे  पार ।
राम-दूत  भी   कह  रहे , वह  है पालन  हार ।। २

राम  सभी  के  मन  बसे , राम  रहें  हो खोज  ।
राम नहीं  जिस  वस्तु में , नहीं  धरा  पे ओज ।। ३

राम-सिया   के   संग  में ,  लक्ष्मण  छोडे़  राज  ।
देख दुखी सब जन कहे , यह विधना का काज ।। ४

वचन  पिता  का  पूर्ण  हो , मान  गये  रघुनाथ ।
संग सिया के चल दिये , भ्रात अनुज भी साथ ।। ५

कहते  रावण   राम  सें , जब  भाई  हो साथ ।
लंका की  क्या बात है , तीन  लोक  हो हाथ ।। ६

दो भाई  विख्यात  हैं , लखन विभीषण जान ।
भाई की  अति  चाह तो , लखन  माँग इंसान ।। ७

सुनो यहां  क्या  कह रहें , भक्त  वीर हनुमान ।
जो सुमिरें  प्रभु  राम को , बनते  भक्त महान ।। ८

रोम-रोम  में  बस  गये , जिनके अब श्री राम ।
बन  जाते  उनके  सभी , बिगड़े  सारे  काम ।। ९

             महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR राम-नाम  औषधि  बड़ी , रमो  राम  की  प्रीत ।
व्याधि कभी  आए  नहीं , बने  राम  जो मीत ।। १

राम-नाम   सुमिरन  करो , राम   करेंगे  पार ।
राम-दूत  भी   कह  रहे , वह  है पालन  हार ।। २

राम  सभी  के  मन  बसे , राम  रहें  हो खोज  ।
राम नहीं  जिस  वस्तु में , नहीं  धरा  पे ओज ।। ३

राम-नाम औषधि बड़ी , रमो राम की प्रीत । व्याधि कभी आए नहीं , बने राम जो मीत ।। १ राम-नाम सुमिरन करो , राम करेंगे पार । राम-दूत भी कह रहे , वह है पालन हार ।। २ राम सभी के मन बसे , राम रहें हो खोज । राम नहीं जिस वस्तु में , नहीं धरा पे ओज ।। ३ #कविता #NojotoRamleela