रजाई मैं जल्द आ रही हूं, मैं हूं सबकी माई, कोई कहता है मुझे सोड़, कोई कहता है रजाई, मैं ही हूं जो हर साल आती हूं, हर किसी की ठंड में जान बचाती हूं, मेरी अहमियत हर कोई जानता है, कड़ी ठंड में मुझे कोई, भगवान से कम नहीं मानता है, मॉडर्न लोग आजकल यूं तो, मेरा नाम लेने में भी शरमाते हैं, मगर जब ठंड लगती है, मुझमें घुसे चले आते है, जात धर्म देखे बिना, सबको अपने आंचल में छिपाती हूं, कड़ी ठंड से सबकी जान बचाती हूं, यूं तो आजकल, कंबल नाम से भी कोई आता है, बाजार में खूब कीमत पाता है, मगर हर कोई उसे कहां खरीद पाता है, कंबल मुझसे अच्छा है, ये बोल कंबल वाला खूब ऐतराता है, मगर जब कड़ी ठंड होती है, वो भी मेरे आंचल में ही गरमी पाता है, हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई, सबकी जान बचाने, मैं जल्द आ रही हूं, मैं हूं सबकी माई, कोई कहता है सोड़, कोई कहता है रजाई, ©Dr Vikash Sharma #रजाई