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तुम क्षमादान दे दो राघव मै शाप नहीं दे पाऊंगी जीवन

तुम क्षमादान दे दो राघव मै शाप नहीं दे पाऊंगी
जीवन भर का खुद को मै तो संताप नहीं दे पाऊंगी
हे राजदुलारे राज तिलक देखो कितना  निकट अभी
कुछ ही पल में हो जाएगा फिर समय यहां भी विकट अभी
इस भारत वंश को सुनो राम अभिशाप नहीं दे पाऊंगी
तुम क्षमादान दे दो राघव मै शाप नहीं दे पाऊंगी

तुम ज्येष्ठ पुत्र हो योग्य बड़े  जाओ तुम ही युवराज बनो
इस अवध प्रांत के जनता की दुख सुख में तुम आवाज बनो
मै वर मांगु इस क्षण मुझसे ये पाप नहीं हो पाएगा 
ये कुटिल भयंकर कड़वा मुझसे जाप नहीं हो पाएगा
वन के पीड़ा की प्रिय पुत्र मै ताप नहीं दे पाऊंगी
तुम क्षमादान दे दो राघव मैं शाप नहीं दे पाऊंगी

मुझको  है ये  मालूम  अकेले  तुम  वन को ना जाओगे
तुम संग में अपने मात पिता की भी खुशियां ले जाओगे
राहे वन की दुष्कर होंगी और  नही कोई अपना होगा 
राजभवन का  सारा  सुख वन में केवल सपना होगा
कांटो के पथ पर सीता  पग की छाप नहीं दे पाऊंगी
तुम क्षमादान दे दो राघव मै शाप नहीं दे पाऊंगी

आने वाला भविष्य में मां से ऐसा काम नहीं होगा 
सब नाम रखा जाएगा पर कैकैयी नाम नहीं होगा 
कल भोर नहीं होगी कोशल में तम का पहरा छाएगा
सब कुछ पहले जैसा होगा बस केवल राम नहीं होगा
जिस स्वर को सुन वन जाओ आलाप नहीं दे पाऊंगी
तुम क्षमादान दे दो राघव मै शाप नहीं दे पाऊंगी

जो जिम्मेदारी तुमको दी माना है बहुत कठिन माता
सर्वस्व  समर्पित  कर दे जो इतिहास उन्हीं के गुण गाता
जग निंदा कुछ क्षण की है उन बातो को फिर धड़ना क्या
जब राम तुम्हारे साथ खड़ा तुमको इस जग डरना क्या
मै तुम्हे भेज कर वन में भरत को राज नहीं दे पाऊंगी
तुम क्षमादान दे दो राघव मै शाप नहीं दे पाऊंगी
तुम क्षमादान दे दो राघव मै शाप नहीं दे पाऊंगी
जीवन भर का खुद को मै तो संताप नहीं दे पाऊंगी
हे राजदुलारे राज तिलक देखो कितना  निकट अभी
कुछ ही पल में हो जाएगा फिर समय यहां भी विकट अभी
इस भारत वंश को सुनो राम अभिशाप नहीं दे पाऊंगी
तुम क्षमादान दे दो राघव मै शाप नहीं दे पाऊंगी

तुम ज्येष्ठ पुत्र हो योग्य बड़े  जाओ तुम ही युवराज बनो
इस अवध प्रांत के जनता की दुख सुख में तुम आवाज बनो
मै वर मांगु इस क्षण मुझसे ये पाप नहीं हो पाएगा 
ये कुटिल भयंकर कड़वा मुझसे जाप नहीं हो पाएगा
वन के पीड़ा की प्रिय पुत्र मै ताप नहीं दे पाऊंगी
तुम क्षमादान दे दो राघव मैं शाप नहीं दे पाऊंगी

मुझको  है ये  मालूम  अकेले  तुम  वन को ना जाओगे
तुम संग में अपने मात पिता की भी खुशियां ले जाओगे
राहे वन की दुष्कर होंगी और  नही कोई अपना होगा 
राजभवन का  सारा  सुख वन में केवल सपना होगा
कांटो के पथ पर सीता  पग की छाप नहीं दे पाऊंगी
तुम क्षमादान दे दो राघव मै शाप नहीं दे पाऊंगी

आने वाला भविष्य में मां से ऐसा काम नहीं होगा 
सब नाम रखा जाएगा पर कैकैयी नाम नहीं होगा 
कल भोर नहीं होगी कोशल में तम का पहरा छाएगा
सब कुछ पहले जैसा होगा बस केवल राम नहीं होगा
जिस स्वर को सुन वन जाओ आलाप नहीं दे पाऊंगी
तुम क्षमादान दे दो राघव मै शाप नहीं दे पाऊंगी

जो जिम्मेदारी तुमको दी माना है बहुत कठिन माता
सर्वस्व  समर्पित  कर दे जो इतिहास उन्हीं के गुण गाता
जग निंदा कुछ क्षण की है उन बातो को फिर धड़ना क्या
जब राम तुम्हारे साथ खड़ा तुमको इस जग डरना क्या
मै तुम्हे भेज कर वन में भरत को राज नहीं दे पाऊंगी
तुम क्षमादान दे दो राघव मै शाप नहीं दे पाऊंगी
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