जिन्होंने संपन्नता छोड़ अध्यात्म चुना, पैसों के स्थान पर सेवा चुनी, नरेंद्र छोड़ स्वामी विवेकानंद चुना, मां का प्रेम छोड़ हजारों मांओं की गोद चुनी, उनके लिए 'धन्यवाद' शब्द कम है। गुरु के लिए नारायण थे फिर भी नर साधारण रहे, भूख प्यास काटी छांटी कितने ही दुख दर्द सहे, हर बार कुशलता दिखलाई फिर भी भोले नादान रहे, शब्दों के भंडार थे पर चुन-चुन कुछ ही शब्द कहे, उनके लिए 'उपकार' शब्द भी कम है। जन-जन को चेताया भी चेतना का संदेश दिया, युवाओं का आवाहन कर खुद का लड़कपन त्याग दिया, गुरु के चरणों की धूल रहे हर तरह सेवा का आधार दिया, गुरु के मस्तक का टिका थे फिर भी प्याला भर पीप पिया, उनके लिए 'महान' शब्द भी कम है। ©Neeharika Dangi on this special occasion of 'NATIONAL YOUTH DAY' #Books