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स्याही को काग़ज़ पर नुमायाँ करने से पहले, अनयत्र द

स्याही को काग़ज़ पर नुमायाँ करने से पहले,
अनयत्र दिमाग़ी खाँचों में काफ़ी कुछ घुलाना -मिलाना होता है, 
वर्षों तक अलग-अलग प्रांतों,खेमों,गलियों में घूमना पड़ता है,
प्राकृतिक और अप्राकृतिक सब से रूबरू होना होता है, 
अपनी शरीर के परत दर परत में झांकना होता है,
ताकि अंदर की गहरी पैठ बनाये जज़्बातों के तार
में झंझनाहट आ जाएं,
और मैं फिर उनमें से प्रिय धुन पर घंटों नाचता हूँ,

इस पूरे सफ़र के दौरान स्याही और दवात आपस में सही वक़्त के आने का गुमसुम बैठ इंतज़ार करते हैं। 

✍mahfuz nisar ©

©Mahfuz nisar स्याही को काग़ज़ पर नुमायाँ करने से पहले,
अनयत्र दिमाग़ी खाँचों में काफ़ी कुछ घुलाना -मिलाना होता है, 
वर्षों तक अलग-अलग प्रांतों,खेमों,गलियों में घूमना पड़ता है,
प्राकृतिक और अप्राकृतिक सब से रूबरू होना होता है, 
अपनी शरीर के परत दर परत में झांकना होता है,
ताकि अंदर की गहरी पैठ बनाये जज़्बातों के तार
में झंझनाहट आ जाएं,
और मैं फिर उनमें से प्रिय धुन पर घंटों नाचता हूँ,
स्याही को काग़ज़ पर नुमायाँ करने से पहले,
अनयत्र दिमाग़ी खाँचों में काफ़ी कुछ घुलाना -मिलाना होता है, 
वर्षों तक अलग-अलग प्रांतों,खेमों,गलियों में घूमना पड़ता है,
प्राकृतिक और अप्राकृतिक सब से रूबरू होना होता है, 
अपनी शरीर के परत दर परत में झांकना होता है,
ताकि अंदर की गहरी पैठ बनाये जज़्बातों के तार
में झंझनाहट आ जाएं,
और मैं फिर उनमें से प्रिय धुन पर घंटों नाचता हूँ,

इस पूरे सफ़र के दौरान स्याही और दवात आपस में सही वक़्त के आने का गुमसुम बैठ इंतज़ार करते हैं। 

✍mahfuz nisar ©

©Mahfuz nisar स्याही को काग़ज़ पर नुमायाँ करने से पहले,
अनयत्र दिमाग़ी खाँचों में काफ़ी कुछ घुलाना -मिलाना होता है, 
वर्षों तक अलग-अलग प्रांतों,खेमों,गलियों में घूमना पड़ता है,
प्राकृतिक और अप्राकृतिक सब से रूबरू होना होता है, 
अपनी शरीर के परत दर परत में झांकना होता है,
ताकि अंदर की गहरी पैठ बनाये जज़्बातों के तार
में झंझनाहट आ जाएं,
और मैं फिर उनमें से प्रिय धुन पर घंटों नाचता हूँ,
mahfuzmonu5015

Mahfuz nisar

New Creator

स्याही को काग़ज़ पर नुमायाँ करने से पहले, अनयत्र दिमाग़ी खाँचों में काफ़ी कुछ घुलाना -मिलाना होता है, वर्षों तक अलग-अलग प्रांतों,खेमों,गलियों में घूमना पड़ता है, प्राकृतिक और अप्राकृतिक सब से रूबरू होना होता है, अपनी शरीर के परत दर परत में झांकना होता है, ताकि अंदर की गहरी पैठ बनाये जज़्बातों के तार में झंझनाहट आ जाएं, और मैं फिर उनमें से प्रिय धुन पर घंटों नाचता हूँ, #Wish