स्याही को काग़ज़ पर नुमायाँ करने से पहले,
अनयत्र दिमाग़ी खाँचों में काफ़ी कुछ घुलाना -मिलाना होता है,
वर्षों तक अलग-अलग प्रांतों,खेमों,गलियों में घूमना पड़ता है,
प्राकृतिक और अप्राकृतिक सब से रूबरू होना होता है,
अपनी शरीर के परत दर परत में झांकना होता है,
ताकि अंदर की गहरी पैठ बनाये जज़्बातों के तार
में झंझनाहट आ जाएं,
और मैं फिर उनमें से प्रिय धुन पर घंटों नाचता हूँ, #Wish