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बनों किताबों की तरह ,,,,,ज्ञान तो दो पर बोलो मत,,,

बनों किताबों की तरह ,,,,,ज्ञान तो दो पर बोलो मत,,,,
जब जब किसी को समझाने जाओगे,,,,,
तो हज़ारों गलतफहमीयो का शिकार हो जाओगे,,,,
आज से किताब बनेंगे,,,वकील नहीं 
कुछ साबित नहीं करना सिर्फ किसी से कुछ सीखना है किसी को सीखना है।
पर बिना बोले बिल्कुल किताब की तरह ,,,,
क्योंकि किसी से बहस करके समाज में बदलाव नहीं 
जिंदगी में बवंडर लाया जा सकता है ,,,
ज्ञान दे पर वहां जहां जरूरत हो ,पूछा जाय,,,
वहा नहीं जहां आपका नज़रिया ही गलत साबित हो जाय 
क्युकी ये वो समाज नहीं जहां एक व्यक्ति लोगों कि सोच बदल सके
क्योंकि लोग अपना नजरिया छोड़ने को तैयार नहीं ,,,,
"मैं सर्वश्रेष्ठ हूं अच्छी बात है,,, मैं ही सबसे सर्वश्रेष्ठ हूं ये वहम है"
हर बात पर अपना पक्ष रखिए पर जब उसके अतीत और भविष्य
दोनों का ज्ञान हो तो ही ,,,,
समाज में बदलाव की बात करते है तो हम अपने राज्य से तालुक नहीं होना चाहिए अपने देश को भी शामिल करना चाहिए,,,,
बोलिए हमेशा गलत चीजों के खिलाफ जो सही है वो तो सही ही है,,,
कहने को तो खाना खाना जिंदगी में सबसे जरूरी है पर हद से ज्यादा या 
कोई ऐसी चीज खाना जिससे मृत्यु निश्चित है,, मूर्खता है 
तो हर बात अच्छी भी होती है और हर बात बुरी भी ,,,
जो बात का पक्ष अच्छा है उसमे क्या बदलाव कि जरूरत बदलाव तो उसके बुरे पक्ष में करना है,,,
कहने को दहेज़ गलत है पर अगर दुल्हे का घर के हालात खराब है 
और लडकी का पिता अपनी खुशी से अपनी बेटी को सुख के लिए कुछ देता है तो वो मेरे नजरिए से गलत नहीं है ,,,
ऐसे ही समाज की कुछ चीजे है जिन्हे सिर्फ कुछ सीमा तक ही निश्चित किया जाय तो शायद वो कुरीतियां न कहलाए,,,


#खामियों को दूर कर खामोशियों में बदल लेंगे

©Vikash shyoran
बनों किताबों की तरह ,,,,,ज्ञान तो दो पर बोलो मत,,,,
जब जब किसी को समझाने जाओगे,,,,,
तो हज़ारों गलतफहमीयो का शिकार हो जाओगे,,,,
आज से किताब बनेंगे,,,वकील नहीं 
कुछ साबित नहीं करना सिर्फ किसी से कुछ सीखना है किसी को सीखना है।
पर बिना बोले बिल्कुल किताब की तरह ,,,,
क्योंकि किसी से बहस करके समाज में बदलाव नहीं 
जिंदगी में बवंडर लाया जा सकता है ,,,
ज्ञान दे पर वहां जहां जरूरत हो ,पूछा जाय,,,
वहा नहीं जहां आपका नज़रिया ही गलत साबित हो जाय 
क्युकी ये वो समाज नहीं जहां एक व्यक्ति लोगों कि सोच बदल सके
क्योंकि लोग अपना नजरिया छोड़ने को तैयार नहीं ,,,,
"मैं सर्वश्रेष्ठ हूं अच्छी बात है,,, मैं ही सबसे सर्वश्रेष्ठ हूं ये वहम है"
हर बात पर अपना पक्ष रखिए पर जब उसके अतीत और भविष्य
दोनों का ज्ञान हो तो ही ,,,,
समाज में बदलाव की बात करते है तो हम अपने राज्य से तालुक नहीं होना चाहिए अपने देश को भी शामिल करना चाहिए,,,,
बोलिए हमेशा गलत चीजों के खिलाफ जो सही है वो तो सही ही है,,,
कहने को तो खाना खाना जिंदगी में सबसे जरूरी है पर हद से ज्यादा या 
कोई ऐसी चीज खाना जिससे मृत्यु निश्चित है,, मूर्खता है 
तो हर बात अच्छी भी होती है और हर बात बुरी भी ,,,
जो बात का पक्ष अच्छा है उसमे क्या बदलाव कि जरूरत बदलाव तो उसके बुरे पक्ष में करना है,,,
कहने को दहेज़ गलत है पर अगर दुल्हे का घर के हालात खराब है 
और लडकी का पिता अपनी खुशी से अपनी बेटी को सुख के लिए कुछ देता है तो वो मेरे नजरिए से गलत नहीं है ,,,
ऐसे ही समाज की कुछ चीजे है जिन्हे सिर्फ कुछ सीमा तक ही निश्चित किया जाय तो शायद वो कुरीतियां न कहलाए,,,


#खामियों को दूर कर खामोशियों में बदल लेंगे

©Vikash shyoran