Unsplash दिसंबर की धुंध में खोई फिज़ा, ठंडी हवाओं का छूना सज़ा। एक कप चाय की चाहत लिए, रातों ने जाग कर ख्वाब पिए। सहमी हुई रात, खामोश गगन, नयी सुबह का हो संग लगन। आंखें इंतजार में थम सी गईं, सपनों की लहरें थमने लगीं। पर जब सुबह की दस्तक हुई, धुंध के परदे भी हल्के हुए। सूरज ने हौले से मुस्का दिया, जीवन में उजियारा भर दिया। अब दिल में न कोई डर रह गया, हर ख्वाब को पंख मिल गया। यह सुबह है, नई शुरुआत है, जीवन में फिर से मधुमास है। ©"सीमा"अमन सिंह #banarasi_Chhora #चाय #chai