घर आंगन को सूना करके सब सुधियों की झोली भरके नुक्कड़ के सब खेल तमासे होली के सब ढोल औ तांशे मेलों में लगने वाले झूले खेतों की पगडंडी भूले इतना विवश नही देखा है शहरों में जाने वालों को घर वापस आने वालों को। #प्रशांत