Nojoto: Largest Storytelling Platform

मोहब्बत की और हम गुनाहगार हो गए, सितम सहक

 मोहब्बत  की  और  हम  गुनाहगार  हो   गए,
सितम  सहकर भी तेरे,हम  तलबगार हो गए,

मिटकर भी तेरे ख़्वाबों को सँवारा किये थे हम,
जलाकर  इश्क़ में ख़ुद को, हम बेज़ार हो गए,

ज़ुल्म-ओ-सितम सहने की आदत तो नही थी,
तेरी मुस्कान की ख़ातिर ,तेरे ग़मख़्वार हो गए,

अश्क़ पलकों पे ठहरे थे, पर लब ख़ामोश ही रहे,
लिखकर क़ागज़ पे दर्द अपना, शहरयार हो गए,

पीते रहे चुपचाप हम , दर्द  को  ही दवा मानकर,
ख्वाब जो आँखों ने बुने थे , सब तार तार हो गए,

भूलकर सब सितम तेरे ,फ़िर से ख़ुद को समेटा है,
हँसी होठो पर जो खिली, तो  हम महकार हो गए।।

-पूनम आत्रेय

©poonam atrey
  #ज़ुल्म-ओ-सितम
pragyanshatrey9859

poonam atrey

Silver Star
Growing Creator

#ज़ुल्म-ओ-सितम #शायरी

871 Views